Mukund Lath
काण्ट के दर्शन का तात्पनर्य – आचार्य कृष्णवचन्द्र भट्टाचार्य
"हिन्दी में दर्शन को लेकर मौलिक और अनूदित दोनों क़िस्म की सामग्री बहुत कम है। रज़ा पुस्तक माला का एक प्रयत्न यथासम्भव कुछ दार्शनिक सामग्री हिन्दी में उपलब्ध कराने का है। यह सामग्री अंग्रेजी के अलावा अन्य भारतीय भाषाओं से भी हिन्दी में लायी जा रही है। इसी क्रम में आचार्य कृष्णचन्द्र भट्टाचार्य की मूल बाङ्ला में काण्ट के दर्शन पर लिखित पुस्तक का विद्वान-कवि-रसिक मुकन्द लाठ का हिन्दी अनुवाद प्रस्तुत करते हुए हमें प्रसन्नता है। दशकों पहले आचार्य भट्टाचार्य से हममें से कई का प्रथम परिचय उनके विचारों का स्वराज' निबन्ध और उस पर हुई बहस से हुआ था।"